घाटशिला उपचुनाव: देर न हो जाए कहीं... 1000-2000 वोट पाने वाले भी नंबर लगाए बैठे हैं

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (59)-h478b59MjV.jpg

घाटशिला में होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है. सत्ताधारी पार्टी जेएमएम ने अपनी सीटिंग सीट को फिर से कब्जे में करने के लिए रणनीति बनाकर काम करना शुरू कर दिया है. कैंडिडेट फाइनल हो गया. स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का समर्थन भी सोमश को मिल गया, लेकिन बीजेपी हर बार की तरह इस बार भी उम्मीदवार को लेकर फाइनल डिसिजन नहीं ले पाई है. इससे घाटशिला के बीजेपी नेताओं और टिकट के दावेदारों में उहापोह की स्थिति है. जेएमएम के कार्यकर्ता जहां सोमेश सोरेन को जिताने के लिए अभी से मैदान में उतर गये हैं वहीं बीजेपी से टिकट के सभी दावेदार अपनी अलग-अलग तैयारी में लगे हुए हैं. आधा दर्जन नेता टिकट के लिए कतार में खड़े हैं. कुछ खुलकर दावेदारी कर रहे हैं, तो कुछ बैकडोर से टिकट की जुगाड़ में लगे हुए हैं. 

बीजेपी से पूर्व सीएम चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन खुद को पार्टी का प्रत्याशी मानकर चल रहे हैं. पिता के साथ खूब घूम रहे हैं. दौरे और जनसंपर्क कर रहे हैं. उधर रमेश हांसदा भी मैदान में उतर चुके हैं, वहीं लखन मार्डी, गीता मुर्मू और सुनीता देवदूत सोरेन जैसे नेता प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व की ओर ताक रहे हैं. ये लोग खुलकर अपनी दावेदारी नहीं कर रहे हैं, लेकिन चुनाव लड़ने की तीव्र इच्छा है. बड़े नेताओं के साथ हाय-हैलो और बैठकों का दौर चल रहा है. वोटर्स के बीच नजर आने लगे हैं. घाटशिला विधानसभा सीट पर बीजेपी का इतिहास और पूर्व प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन के वोटों के आंकड़े को देखकर सभी नेता अपना-अपना गणित लगा रहे हैं. लखन मार्डी को बीजेपी ने 2019 में घाटशिला से चुनाव लड़वाया था. उन्होंने रामदास सोरेन को कड़ी टक्कर दी थी, वहीं गीता मुर्मू और सुनीता देवदूत सोरेन भी एक-एक बार बाबूलाल मरांडी की पुरानी पार्टी जेवीएम से चुनाव लड़ चुकी हैं. 2014 में गीता मुर्मू और 2019 में सुनीता देवदूत ने यहां से चुनाव लड़ा था, लेकिन इन्हें डेढ़ फीसदी भी वोट हासिल नहीं हुआ था. इन नेताओं को पता है कि टिकट मिलना मुश्किल है, लेकिन राजनीति में उम्मीद तो बनी ही रहती है. 


बीजेपी का प्रत्याशी कौन होगा यह फैसला तो पार्टी आलाकमान लेगी, लेकिन जबतक पार्टी फैसला लेगी तबतक जेएमएम पूरी तैयारी के साथ गांव-गांव में वोटर्स तक पहुंच चुका होगा. कैंडिडेट को लेकर पहले बीजेपी प्रदेश समिति की बैठक होगी. इस बैठक में 3-4 नामों पर चर्चा होगी. फिर यह नाम दिल्ली भेजे जाएंगे. वहां संसदीय बोर्ड की बैठक होगी. बैठक में रायशुमारी के बाद कैंडिडेट के नाम पर मुहर लगेगी और फिर नाम की घोषणा होगी. इसमें कम से कम 3-4 हफ्ते लगने की उम्मीद है. कैंडिडेट के नाम की घोषणा के बाद दूसरे नाराज दावेदारों को मनाया जाएगा. प्रत्याशी और स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा जाएगा. यानी इतनी प्रक्रिया होते-होते जेएमएम मैदान में अपनी आधी ऊर्जा झोंक चुका होगा. ऐसे में हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी कहीं देर न हो जाए... कहीं...

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