लोकसभा ने बुधवार को विपक्ष के विरोध के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी की अनुमति देने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी. ‘भारत के रूपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’ को ध्वनिमत से पारित किया गया. सरकार ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया, जबकि विपक्षी दलों ने इसे संवेदनशील क्षेत्र में निजी कॉरपोरेट समूहों के लिए रास्ता खोलने वाला करार दिया.
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसमें कई प्रावधान पहले से मौजूद हैं, लेकिन केवल सत्तापक्ष का विरोध करने के उद्देश्य से विपक्ष इन्हीं प्रावधानों का विरोध कर रहा है. उन्होंने बताया कि परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के लिए 37 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बजट प्रावधान है और वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने में परमाणु ऊर्जा की भूमिका अहम होगी.
परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि निजी क्षेत्र की भागीदारी होगी, लेकिन सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नुकसान की स्थिति में संचालक को ही भरपाई करनी होगी और इसके लिए परमाणु उत्तरदायित्व कोष का प्रावधान किया गया है. मंत्री ने कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों में अलग-थलग रहना संभव नहीं है और भारत अब केवल अनुसरण करने वाला देश नहीं, बल्कि वैश्विक मानक तय करने वाला देश बन चुका है.
विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक में आपूर्तिकर्ता के उत्तरदायित्व का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी रेडियोधर्मी विकिरण और परमाणु अपशिष्ट से उत्पन्न जोखिमों को नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाया.
तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने मंत्री के जवाब पर असंतोष जताते हुए सदन से वॉकआउट किया. वहीं भाजपा सांसद शशांक मणि ने विधेयक को देश को नई दिशा देने वाला बताते हुए कहा कि इससे ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को मजबूती मिलेगी.
गौरतलब है कि यह विधेयक 15 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था और 11 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दी थी. विधेयक का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित उपयोग, नवाचार और एक मजबूत नियामक ढांचे के जरिए देश के समग्र विकास को सुनिश्चित करना है.



