Ranchi: राजधानी के रिम्स परिसर में बने अवैध निर्माण को लेकर झारखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद चल रही तोड़फोड़ की कार्रवाई के बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने इस पूरे मामले को राज्य के सरकारी तंत्र में व्याप्त गहरे भ्रष्टाचार का परिणाम बताते हुए सीधे तौर पर सरकार और उसके संरक्षण में काम कर रहे अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है.
“कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य, लेकिन जिम्मेदारी तय हो”
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश पर रिम्स परिसर में अवैध रूप से बने भवनों को ध्वस्त किया जाना पूरी तरह न्यायोचित है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए. लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ इमारतें गिरा देने से सवाल खत्म नहीं होते. असली सवाल यह है कि इस अवैध निर्माण की अनुमति आखिर किसने दी और इसके लिए जिम्मेदार लोग अब तक कार्रवाई से बाहर क्यों हैं. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार के भ्रष्ट तंत्र की सजा आम जनता को क्यों भुगतनी पड़ रही है. जिन लोगों ने जीवन भर की कमाई लगाकर फ्लैट खरीदे, वे आज सबसे बड़े पीड़ित बन गए हैं.
“भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर तक फैला”
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि रिम्स परिसर में अवैध निर्माण सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि झारखंड में इससे पहले भी सेना की जमीन से जुड़े घोटाले सामने आ चुके हैं, जिनमें आईएएस स्तर के अधिकारी जेल तक गए हैं. ऐसे में यह मानना मुश्किल नहीं है कि इस मामले में भी भ्रष्टाचार के तार नीचे से ऊपर तक जुड़े हुए हैं.
रजिस्ट्री और म्यूटेशन पर उठे गंभीर सवाल
बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाया कि यदि रिम्स की जमीन सरकारी थी, तो उस पर बने फ्लैटों की रजिस्ट्री कैसे कर दी गई. रजिस्ट्रार की पहली जिम्मेदारी होती है कि वह यह सुनिश्चित करे कि जिस जमीन की रजिस्ट्री हो रही है, वह वैध है. इसके बावजूद रजिस्ट्री होना यह दर्शाता है कि नियमों की खुली अनदेखी की गई. उन्होंने यह भी कहा कि रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन का इतनी आसानी से हो जाना भी संदेह पैदा करता है. आम आदमी वर्षों तक म्यूटेशन के लिए दफ्तरों के चक्कर काटता है, लेकिन इस मामले में प्रक्रिया असाधारण रूप से तेज रही.
नगर निगम और रेरा की भूमिका पर सवाल
नेता प्रतिपक्ष ने रांची नगर निगम की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जब उच्च न्यायालय के आदेश के कारण वर्षों तक नगर निगम में नक्शा पास करने की प्रक्रिया लगभग ठप रही, तब रिम्स की जमीन पर फ्लैटों का नक्शा आखिर कैसे स्वीकृत हो गया. उन्होंने यह भी कहा कि रेरा झारखंड ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह विफलता दिखाई. यदि रेरा समय रहते सतर्कता बरतता, तो आम लोगों को आज इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.
निर्दोष फ्लैट खरीदारों के लिए सरकार से बड़ी मांग
बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से मांग की कि इस पूरे प्रकरण में शामिल रजिस्ट्रार, अंचल अधिकारी, रांची नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी और रेरा के अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो. उन्होंने यह भी कहा कि जिन निर्दोष लोगों ने फ्लैट खरीदे हैं, उन्हें राज्य सरकार तत्काल वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराए. साथ ही, फ्लैट खरीदारों पर जो बैंक लोन का बोझ है, उसकी जिम्मेदारी भी राज्य सरकार को लेनी चाहिए. बाद में यह राशि भ्रष्ट अधिकारियों से वसूली जाए.
“यह मामला सिर्फ इमारतों का नहीं, सिस्टम का है”
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि रिम्स परिसर का यह मामला सिर्फ अवैध निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य के सरकारी तंत्र में जड़ जमा चुके भ्रष्टाचार को उजागर करता है. जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ऐसे मामले दोहराए जाते रहेंगे और आम जनता ही हर बार सबसे ज्यादा नुकसान उठाएगी.



