सत्य शरण मिश्रा
रांची
:
पैसा, बंगला, गाड़ी और ऐशो-आराम की सारी सुविधाएं हैं फिर भी रातों को नींद नहीं आती, क्योंकि पावर नहीं है. पावर चाहिए सत्ता का. गाड़ी पर चाहिए बोर्ड विधायक का, इसलिए इस विधानसभा चुनाव में कोयलांचल में थैली लेकर आ गये हैं कई धनकुबेर. जो कभी राजनीतिक दलों के ऑफिस और पार्टी के कार्यक्रमों में नहीं दिखे वे आज रायशुमारी की बैठकों में भटकते दिख रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कुछ वोट मिल जाए इसके लिए मारामारी कर रहे हैं. इस बार कोयलांचल में एलबी सिंह और हरेंद्र सिंह जैसे धनकुबेरों की एंट्री हुई है. हालांकि जनता और पार्टी कार्यकर्ता इन्हें नहीं पहचानते, लेकिन जेब में पैसा है इसलिए चुनाव लड़ने की तीव्र इच्छा जाग चुकी है. ये दोनों धनबाद-झरिया विधानसभा सीट से बीजेपी की टिकट के दावेदार हैं. इनका दावा है कि 2004 से बीजेपी के सद्स्य हैं, लेकिन 20 सालों में पहली बार रायशुमारी की बैठक में नजर आये. चुनाव आया तो विज्ञापनों और होर्डिंग से खुद को जनता का मसीहा बताने लगे हैं. कोयलांचल में माहौल ऐसा बना दिया है कि बीजेपी सीटिंग एमएलए राज सिन्हा का टिकट काटकर इन्हें ही दे देगी.
अंदर का माहौल कुछ और है
ये तो है माहौल उपर-उपर का. भीतर का माहौल कुछ और ही है. वैसे तो कुल 8 राजपूत नेता इस बार कोयलांचल की दो विधानसभा सीटों (धनबाद-झरिया) से टिकट के दावेदार हैं, लेकिन अंदर की खबर ये है कि इनमें से 90
%
नेता प्रदेश संगठन की लिस्ट में हैं ही नहीं. यानी इनके नाम की चर्चा सिर्फ धनबाद तक ही है. धनबाद विधानसभा सीट से सीटिंग एमएलए राज सिन्हा प्रबल दावेदार हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के समय उनपर पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार करने के लगे आरोप और कार्यकर्ताओं के एक बड़े वर्ग की नाराजगी के कारण उनका टिकट कट सकता है. अगर उनका टिकट कटता है तो उनकी जगह तीन नामों पर विचार किया जा सकता है. इनमें धनबाद के पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल, वरिष्ठ नेता सत्येंद्र कुमार और प्रदेश मंत्री सरोज सिंह का नाम शामिल है. झरिया विधानसभा सीट से रागिनी सिंह के नाम पर संगठन के शीर्ष नेतृत्व में बातचीत चल रही है.
अब राजपूतों को खुश करने की बारी
दरअसल धनबाद लोकसभा क्षेत्र में राजपूत और महतो वोटरों के वोट निर्णायक होते हैं. यहां राजपूत और महतो दोनों की आबादी 8.2 प्रतिशत है. धनबाद विधानसभा क्षेत्र में जहां राजपूतों की आबादी 10.1 फीसदी है, वहीं झरिया में 9.1 फीसदी, निरसा में 5.2 और 4.6 फीसदी है. बीजेपी ने 2009 से 2019 तक धनबाद लोकसभा सीट पर तीन बार पीएन सिंह को टिकट देकर सांसद बनाया. 2024 में बीजेपी ने पीएन सिंह का टिकट काटकर ढुल्लू महतो को देकर महतो वोटरों को खुश कर दिया. वहीं पीएन सिंह का टिकट कटने से राजपूत वोटरों में नाराजगी फैल गई. इसे देखते हुए इस बार राजपूत नेताओं में बड़ी संख्या में यहां से दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी है. ये लोग कोयलांचल में अपना दबदबा बनाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं.
टिकट के दावेदारों का प्रोफाइल
1
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एलबी सिंह
:
कोयला के कारोबार
से इन्होंने
कोयलांचल में अपना वर्चस्व बनाया है. आज एलबी सिंह कोयलांचल का एक बड़ा चेहरा हैं. कोलियरी क्षेत्रों में एलबी सिंह की बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनी है. धनबाद से रांची और दिल्ली तक इनका नेटवर्क फैला हुआ है. बीजेपी के कई बड़े नेता से भी एलबी सिंह का संपर्क है. हालांकि एलबी सिंह को राजनीति का कोई अनुभव नहीं है. दबंग छवि है, लेकिन आम लोगों के बीच पहचान नहीं बना पाए हैं.
2
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रागिनी सिंह :
पूर्व विधायक संजीव सिंह के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी रागिनी सिंह झरिया विधानसभा क्षेत्र में उनका राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं. रागिनी सिंह की चुनावी लड़ाई रिश्तेदारों से ही है. 2019 में चुनाव हारने के बाद से वो झरिया विधानसभा क्षेत्र में काफी सक्रीय रही हैं. झरिया से वो बीजेपी की प्रबल दावेदार हैं.
3. सरोज सिंह
:
फिलहाल बीजेपी के प्रदेश मंत्री हैं. बीजेपी युवा मोर्चा में मंडल से राष्ट्रीय समिति में काम कर चुके हैं. बीच में बाबूलाल मरांडी के साथ जेवीएम में चले गये थे. 2020 में फिर से वापस आये. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सरोज सिंह कैंडिडेट की लिस्ट में थे. बीजेपी ने उनका नाम दिल्ली भेजा था, लेकिन वहां से टिकट ढुल्लू को मिला था.
4.
हरेंद्र सिंह :
हरेंद्र सिंह कोयलांचल के बड़े घरानों में जाना-पहचाना नाम हैं, अशर्फी अस्पताल के मालिक हैं, लेकिन जनता के बीच इनकी पकड़ नहीं है. चुनाव में टिकट पाने के लिए बीजेपी के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं.
5
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रंजीत सिंह :
रंजीत सिंह बीजेपी में उभरते हुए नेता हैं. बीजेपी युवा मोर्चा के पदाधिकारी रह चुके हैं. जिला और प्रदेश के नेताओं के बीच अच्छी पैठ है.
हालांकि जनता के बीच बहुत ज्यादा पकड़ नहीं है. अभी परिपक्व नेता नहीं बने हैं.
6
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विनय सिंह :
विनय सिंह प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता हैं. हाल के दिनों में प्रदेश बीजेपी की राजनीति में तेजी से उभरे हैं. पार्टी के बड़े नेताओं से बेहतर संबंध हैं. निरसा के रहने वाले हैं. लोकसभा चुनाव के समय टिकट की रेस में थे. अब विधानसभा के लिए नंबर लगाये हुए हैं.
7. अमरेश सिंह :
बीजेपी की राजनीति में कुछ वर्षों से सक्रिय हैं. सांसद ढुल्लू महतो के करीबी हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय नेता से भी अच्छे संबंध हैं. बड़े नेता के रूप में अपनी पहचान नहीं बना पाए हैं, लेकिन बड़े नेताओं के कार्यक्रमों के दौरान खूब एक्टिव नजर आते हैं.
8. प्रशांत सिंह :
धनबाद के पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह के पुत्र हैं. झारखंड हाईकोर्ट के वकील और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं. कोयलांचल की राजनीति में बहुत सक्रीय नहीं हैं. लोकसभा में पिता का टिकट कटा है इसलिए यह उम्मीद जताई जा रही है कि संगठन बेटे को टिकट दे सकता है.



