Ranchi: झारखंड को 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि को लेकर लंबे समय से चल रही खींचतान के बीच अब राहत भरी खबर सामने आई है. केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्री ललन सिंह ने झारखंड की ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय सिंह की शिकायत का समाधान कर दिया है. काफी समय से लंबित मुलाकात का समय मिलने के बाद न सिर्फ दोनों नेताओं के बीच बैठक हुई, बल्कि झारखंड के लिए 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि की पहली किस्त जारी करने की अनुशंसा भी कर दी गई है. दरअसल, 11 दिसंबर को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 15वें वित्त आयोग की राशि का मुद्दा जोरशोर से उठा था. मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने सदन में आरोप लगाया था कि उन्होंने इस मामले को लेकर कई बार केंद्रीय पंचायती राज मंत्री से मिलने के लिए समय मांगा, लेकिन उन्हें लगातार टाला जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया था कि 1385 करोड़ रुपये की बकाया राशि को लेकर केंद्रीय मंत्रालय को तीन बार पत्र लिखा गया, बावजूद इसके अब तक राशि रिलीज नहीं की गई.
सदन से दिल्ली तक बनी सहमति की राह
विधानसभा में इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हस्तक्षेप करते हुए मंत्री दीपिका पांडेय सिंह से कहा था कि वह दल-बल के साथ दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करें और तकनीकी गड़बड़ियों को दूर कराएं. इस सुझाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने स्वयं इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मंत्री दीपिका पांडेय सिंह के साथ केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, सांसद दीपक प्रकाश और आदित्य साहू के साथ केंद्रीय पंचायती राज मंत्री ललन सिंह से मुलाकात की.
कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा
मुलाकात के दौरान पंचायती राज से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर समग्र चर्चा हुई. इसमें पंचायतों के डिजिटलीकरण, इनोवेशन फंड के प्रभावी उपयोग, स्थानीय शासन व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार से सहयोग तथा अन्य राज्यों की बेहतर कार्यप्रणालियों को झारखंड में लागू करने जैसे मुद्दे शामिल रहे. बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि इन सभी विषयों पर जल्द ही दिल्ली में विभागीय स्तर पर एक विस्तृत बैठक आयोजित की जाएगी, ताकि ठोस कार्ययोजना बनाकर आगे की प्रक्रिया को तेज किया जा सके.
बाबूलाल मरांडी का सरकार पर हमला
उधर, केंद्रीय मंत्री से मुलाकात के बाद बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही, अक्षमता और वित्तीय कुप्रबंधन के कारण झारखंड की जनता परेशान है. बाबूलाल मरांडी के अनुसार, पंचायती राज विभाग में केंद्र सरकार ने वर्ष 2024-25 की पहली किस्त की राशि पहले ही झारखंड को भेज दी है, लेकिन राज्य सरकार अब तक उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) केंद्र को नहीं भेज पाई है.
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अपने हिस्से की राशि यानी राज्यांश भी समय पर नहीं दे रही है, जो स्पष्ट रूप से वित्तीय कुप्रबंधन को दर्शाता है. बाबूलाल मरांडी ने चेतावनी दी कि यदि यही स्थिति बनी रही तो मार्च 2026 में केंद्र की राशि स्वतः वापस चली जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि हेमंत सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बार-बार केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने की आदी हो गई है और उसे राज्य के विकास से कोई सरोकार नहीं है.
राजनीति से इतर उम्मीद
फिलहाल, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह की ओर से पहली किस्त के लिए अनुशंसा किए जाने के बाद झारखंड को 15वें वित्त आयोग की राशि मिलने की उम्मीद जगी है. अब यह देखना अहम होगा कि राज्य सरकार आवश्यक प्रक्रियाएं और दस्तावेज पूरे कर राशि का लाभ पंचायतों तक कितनी जल्दी पहुंचा पाती है.



