New Delhi: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में लगातार दूसरे दिन S.I.R समेत चुनाव सुधारों पर चर्चा के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. शाह ने कहा, "मैं बहुत साफतौर कहता हूं कि इस सदन में SIR पर चर्चा नहीं हो सकती. SIR चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है. EC और CEC सरकार के तहत काम नहीं करते हैं. अगर चर्चा होती है और सवाल उठते हैं, तो इसका जवाब कौन देगा? उन्होंने कहा कि दो दिन संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी. लोगों के बीच इस तरह का संदेश देने की कोशिश की गई कि हम चर्चा नहीं चाहते. हम बीजेपी और एनडीए के लोग डिबेट से कभी नहीं भागे. संसद सबसे बड़ी पंचायत है. चर्चा के लिए हमने ना कहा, इसके पीछे भी कारण थे. विपक्ष की डिमांड थी एसआईआर पर चर्चा की. यह चुनाव आयोग का काम है. इस पर चर्चा होगी तो जवाब कौन देगा?
वोटर कौन यह तय करना EC की जिम्मेदारी
गृहमंत्री ने कहा, “घुसपैठिए यह तय नहीं कर सकते कि सीएम-पीएम कौन हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एसआईआर हुआ. चुनाव आयोग की ड्यूटी है यह तय करना कि कौन मतदाता है और कौन नहीं. वोटर होने के लिए यह जरूरी है कि संबंधित व्यक्ति सबसे पहले भारत का नागरिक हो.” राहुल गांधी का नाम लेते हुए शाह ने कहा, “वह हरियाणा का एक मकान नंबर बताते हुए दावा करते हैं कि इस घर में इतने वोटर हैं. चुनाव आयोग ने वेरिफिकेशन किया तो यह दावा ही गलत था. वोट चोरी का फर्जी नैरेटिव बनाने की कोशिश हो रही है.”
तीनों प्रेस कॉन्फ्रेंस का जवाब दूंगा
शाह ने कहा कि विपक्ष के नेता की सादी वाली, एटम बम वाली और हाइड्रोजन बम वाली तीनों प्रेस कॉन्फ्रेंस का जवाब दूंगा. हर सवाल का जवाब दूंगा. एसआईआर को लेकर देश की जनता के बीच झूठ फैलाया गया और उनको गुमराह करने की कोशिश की गई. अनुच्छेद 327 चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट बनाने का पूरा अधिकार देता है. वोटर लिस्ट पुरानी हो या नई, आपका हारना तय है. ये लोग बोलते हैं कि बीजेपी को एंटी-इंकम्बेंसी का सामना नहीं करना पड़ता. मैं बताना चाहता हूं कि 2014 के बाद भी हम कई चुनाव हारे हैं. 2018 में हम राजस्थान हारे, मध्य प्रदेश में हारे, तेलंगाना में हम जीत नहीं पाए और पश्चिम बंगाल में हमारी हार हुई. जब इन लोगों की जीत हुई तो वोटर लिस्ट अच्छी थी. और जब ये हारे तो वोटर लिस्ट खराब हो गई. ये कैसा दोहरा मापदंड है.
SIR को लेकर जनता के बीच झूठ फैलाया गया
अमित शाह ने कहा कि इंदिरा और राजीव गांधी की सरकार के समय भी SIR हुआ था. नरसिम्हा राव के वक्त भी SIR हुआ था. 2003 के बाद अब 2025 में SIR हो रहा है. समय-समय पर SIR करना जरूरी है. SIR कुछ और नहीं है यह मतदाता सूची का शुद्धिकरण है. एसआईआर को लेकर देश की जनता के बीच झूठ फैलाया गया और उनको गुमराह करने की कोशिश की गई. अनुच्छेद 327 चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट बनाने का पूरा अधिकार देता है.



