Ranchi: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर झारखंड की हेमंत सरकार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने पेसा (PESA) अधिनियम से संबंधित कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव को अब तक सार्वजनिक नहीं किए जाने पर गंभीर सवाल खड़े किए. मरांडी ने कहा कि यदि सरकार ने पेसा से जुड़ा कोई जनहितकारी निर्णय लिया है, तो उसे जनता के सामने लाने में हिचक क्यों हो रही है? इससे यह स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं सरकार किसी महत्वपूर्ण तथ्य को जनता से छुपा रही है. सरकार एक ओर पेसा प्रस्ताव पारित करने के नाम पर स्वयं की पीठ थपथपा रही है, स्वागत समारोह आयोजित कर रही है, लेकिन दूसरी ओर यह बताने से बच रही है कि उस प्रस्ताव में वास्तव में क्या है.
आदिवासी समाज को ही नहीं पता पेसा की वास्तविक स्थिति
उन्होंने कहा कि पेसा अधिनियम आदिवासी समाज की परंपराओं, रीति-रिवाजों, रूढ़ियों और पारंपरिक शासन व्यवस्था से सीधे जुड़ा हुआ है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस समाज के अधिकारों की बात की जा रही है, उसी समाज को आज इस प्रस्ताव की वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं है. न आम जनता को और न ही जनप्रतिनिधियों को — सभी केवल मीडिया में प्रकाशित खबरों के भरोसे जानकारी ले रहे हैं. मरांडी ने राज्य सरकार से मांग की कि कैबिनेट से पारित पेसा संबंधी प्रस्ताव को तत्काल सार्वजनिक किया जाए, ताकि जनता को भ्रमित होने से बचाया जा सके और पारदर्शिता बनी रहे.
निकाय चुनाव दलीय आधार पर हों
नेता प्रतिपक्ष ने नगर निकाय चुनावों को लेकर भी स्पष्ट राय रखी. उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव दलीय आधार पर कराए जाने चाहिए. इससे विभिन्न राजनीतिक दलों के माध्यम से जनता के बीच निरंतर सेवा करने वाले कार्यकर्ताओं को जनप्रतिनिधि बनने का अवसर मिलेगा और वे संविधान के दायरे में रहकर अधिक प्रभावी ढंग से जनता की सेवा कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि गैर-दलीय चुनाव मसल और मनी पावर को बढ़ावा देते हैं, जो स्वच्छ और स्वस्थ लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है.





