RANCHI: झारखंड के वन विभाग से जुड़ा एक गंभीर प्रशासनिक मामला सामने आया है. जानकारी के अनुसार विभाग के कुछ उच्च अधिकारी कई माह पूर्व सेवा निवृत्त हो चुके हैं, इसके बावजूद वे अब तक सरकारी आवास एवं अन्य शासकीय सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं. यह स्थिति न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक अनुशासनहीनता को भी उजागर करती है.
इस मामले को लेकर अध्यक्ष, झारखंड राबता हज कमेटी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाए. पोस्ट के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए उचित कार्रवाई की मांग की थी.
सोशल मीडिया पर मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. सूत्रों के अनुसार संबंधित विभाग से पूरी रिपोर्ट तलब की जा रही है और जांच के बाद नियमों के तहत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
शासकीय नियमों के अनुसार सेवा निवृत्ति के पश्चात निर्धारित समय-सीमा के भीतर सरकारी आवास खाली करना अनिवार्य होता है. ऐसे में अधिकारियों द्वारा लंबे समय तक आवास और सुविधाएं बनाए रखना शासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है.
फिलहाल इस मामले के सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज है. अब यह देखना अहम होगा कि जांच में किन अधिकारियों की संलिप्तता सामने आती है और सरकार उनके विरुद्ध क्या कदम उठाती है.



