पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई चंपई सोरेन ने झारखंड की महागठबंधन सरकार पर आदिवासी समुदाय के साथ भेदभाव और दमन की नीति अपनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि चाईबासा में ‘नो एंट्री’ की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रहे आदिवासियों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई बेहद निंदनीय और अमानवीय है.
चंपई चंपई सोरेन ने देर रात सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा
“सरकार ने जिस तरह आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े, वह शर्मनाक है. क्या लोकतांत्रिक राज्य में लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार नहीं रह गया है?” उन्होंने कहा कि चाईबासा के स्थानीय आदिवासी केवल भारी वाहनों के दिन में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे ताकि लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. लेकिन सरकार ने उनकी जायज मांग सुनने के बजाय आंदोलन को कुचलने का रास्ता चुना.
चंपई सोरेन ने सरकार पर आदिवासियों को निशाना बनाने और दमन की नीति अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा - “भोगनाडीह में वीर सिदो-कान्हू के वंशजों पर लाठीचार्ज, गोड्डा में समाजसेवी सूर्या हांसदा का फर्जी एनकाउंटर, नगड़ी में किसानों पर लाठीचार्ज और अब चाईबासा में आंदोलनरत आदिवासियों पर हमला - यह सब दिखाता है कि सरकार ने आदिवासियों को सबसे आसान टारगेट समझ रखा है. ”
अबुआ सरकार सिर्फ झुनझुना पकड़ा रही है
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य में अब सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर फर्जी मुकदमे, पुलिसिया प्रताड़ना और बेवजह जेल भेजने जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. उन्होंने तंज कसा - “इस सरकार ने आदिवासियों को सिर्फ ‘अबुआ-अबुआ’ नामक झुनझुना पकड़ा रखा है, लेकिन जब वे अपने अधिकारों की बात करते हैं, तो उन पर लाठियां बरसाई जाती हैं. ”
चंपई सोरेन ने सिरमटोली सरना स्थल पर अतिक्रमण, नगड़ी में किसानों की जमीन घेरने और चाईबासा में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था में हस्तक्षेप जैसे मामलों का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा - “1855 के हूल विद्रोह के बाद भी अंग्रेजों ने आदिवासी समाज पर ऐसा दमन नहीं किया था, जैसा आज की सरकार कर रही है. ”उन्होंने सरकार पर संक्रमित रक्त चढ़ाने से पांच बच्चों के जीवन से खिलवाड़ का भी आरोप लगाया और कहा - “जिन बच्चों का जीवन बर्बाद हुआ, उनमें अधिकांश आदिवासी हैं, लेकिन सरकार ने केवल दो लाख रुपये देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी मान ली.”
जनता हो रही है एकजुट – चंपई चंपई सोरेन की चेतावनी
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य की जनता अब इस दमनकारी नीति के खिलाफ एकजुट हो रही है. उन्होंने कहा - “जब-जब आदिवासियों और मूलवासियों पर अत्याचार होगा, मैं उनके अधिकारों की लड़ाई में खड़ा रहूंगा,”.




