झारखंड समेत देश भर के राजभवनों का नाम बदलकर लोक भवन कर दिया गया है. झारखंड की राजधानी रांची और उपराजधानी दुमका में राजभवन बने हुए हैं. दोनों राजभवनों का आधिकारिक नाम ‘लोक भवन’ किया गया है, लेकिन अब झारखंड सरकार केंद्र के इस फैसले को बदलना चाहती है. झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान संसदीय कार्यमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने रांची और दुमका के राजभवन का नाम बदलने का प्रस्ताव लाया. उन्होंने कहा कि रांची के राजभवन का नाम बिरसा भवन और दुमका राजभवन का नाम सिदो-कान्हू भवन किया जाना चाहिए.
नामकरण का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को!
संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के कार्यालय से राज्य के विधायी और कार्यपालिका के कार्यों का निष्पादन होता है. विधानसभा के सत्र को आहूत करना, सत्र का अवसान करना, विधानसभा को संबोधित करना, विधानसभा से पारित विधेयकों को अनुमति देना और कैबिनेट के फैसलों को सहमति देना यह सब काम राजभवन से होते हैं. राजभवन राज्य की संपत्ति है. इसलिए राजभवन की चल-अचल संपत्ति का नामकरण करने का अदिकार सिर्फ राज्य सरकार को है.
ब्रिटिश काल से है गवर्नर हाउस का रिश्ता
ब्रिटिश शासन के दौरान राजभवन को गवर्नर हाउस कहा जाता था, और यह परंपरा लंबे समय तक जारी रही. झारखंड राज्य के गठन के बाद साल 2000 में राजभवन अपने पूर्ण स्वरूप में आया. यह परिसर कुल 62 एकड़ में फैला है और इसमें ऐतिहासिक ऑड्रे हाउस भी शामिल है, जो पहले छोटानागपुर के उपायुक्तों का निवास था और अब राज्यपाल का सचिवालय है. इसका निर्माण 1930 में शुरू हुआ और मार्च 1931 में ₹7 लाख की लागत से पूरा हुआ, इसे वास्तुकार सैडलो बैलर्ड ने डिजाइन किया था; और हाल ही में इसका नाम 'लोकभवन' कर दिया गया है।



