"क्यों कहा था को*ल-भु*रंग के साथ शामिल नहीं होना है..." अब नहीं बनने देंगे आदिवासी, कुर्मियों को गीताश्री ने सुना दी खरी-खोटी

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (70)-XHrLjZiuHe.jpg

Ranchi: झारखंड में कुर्मी-आदिवासी की जंग तेज हो गई है. अलग-अलग आदिवासी संगठनों ने कुर्मियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को रांची के सिरमटोली सरना स्थल में कई आदिवासी संगठनों के लोग जुटे. पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, देवकुमार धान और आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा भी थे. आदिवासी नेताओं ने एक सुर में बोला कि किसी भी हालत में कुड़मियों को आदिवासी में शामिल नहीं होने दिया जाएगा. उनकी मांगें नाजायज है. गीताश्री उरांव ने कहा कि ये कुर्मी समाज के लोग बार-बार जो नोटिफिकेशन दिखाते हैं वह असल में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के बारे में है. उसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. 1931 के ज्वाइंट सेंसेक्स रिपोर्ट में स्पष्ट है कि इस भूखंड में वासे करने वाले आदिवासियों में कुर्मी कहीं भी शामिल नहीं है. अंग्रेजों ने एक बार जरूर कहा था कि अगर कुर्मी भी आदिवासी समुदाय में आ जाते तो आदिवासियों की संख्या बढ़ जाएगी, लेकिन तब कुर्मियों ने कहा था कि वे उन्नत समाज से हैं. को*ल-भु*रंग कहलाये जाने वाले अर्धमानवों के साथ शामिल नहीं होना चाहते हैं.

मनगढ़ंत बातें करने में कुडमियों ने किया है पीएचडी : गीताश्री

गीताश्री ने आगे कहा कि कुर्मी समाज के लोग दावा करते हैं कि 6 हजार करोड़ साल पहले से झारखंड में वास करते हैं, जबकि 400 साल से पुराना उनका कोई इतिहास नहीं है. मनगढ़ंत बातें बनाने में कुड़मियों ने पीएचडी कर लिया है. जब आजादी के बार इन्हें ओबीसी में शामिल किया गया तो उस वक्त कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन जैसे ही झारखंड बना. पांचंवी अनुसूची वाला राज्य बनते ही इनके सुर बदल गये. ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकार ने कुर्मियों की आदिवासी बनने की मांग ठुकरा दी है तो फिर झारखंड में क्यों मिलेगा. ये तो आदिवासी होने की अहर्ता में खरे भी नहीं उतरते हैं. रेल रोकने और रैली निकालने से क्या हो जाएगा. 

कुर्मी को आदिवासी बनाने के लिए बना है JLKM: प्रेम शाही मुंडा

प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि विधायक जयराम महतो ने अपने समाज के मांग के साथ खड़ा होने की घोषणा की है, वैसे ही हम भी अपने समाज के लिए चट्टानी एकता के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि जेएलकेएम कुर्मी जाति की पार्टी है. इसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ कुड़मियों को आदिवासी बनाना है. पलायन, स्थानीय नीति जैसे झारखंड के ज्वलंत मुद्दों से जेएलकेएम का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कुडमियों ने मांग वापस नहीं तो टकराव हो जाएगा. आदिवासी भी घांस छीलकर नहीं आये हैं.

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