ऑनलाइन पेमेंट ने लोगों के लिए लेन-देन आसान बना दिया है, लेकिन यह कई बार परेशानी का भी कारण बन रहा है. सरकार ने संसद में बताया कि इस वित्तीय वर्ष (2025-26) के नवंबर तक UPI के माध्यम से 805 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है. इन मामलों की संख्या 10.64 लाख से अधिक है. हालांकि यह पिछले दो वर्षों की तुलना में कम है, फिर भी सरकार का कहना है कि UPI के बढ़ते इस्तेमाल के कारण साइबर अपराधियों के हमलों का दायरा भी बढ़ रहा है.
डिजिटल पेमेंट बढ़ने के साथ बढ़े फ्रॉड के मामले
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में UPI फ्रॉड का डेटा पेश किया. यह दिखाता है कि भारत में डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही धोखाधड़ी के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं.
पिछले वर्षों का डेटा:
- वित्तीय वर्ष 2024-25: 981 करोड़ रुपये, 12.64 लाख मामले
- वित्तीय वर्ष 2023-24: 1,087 करोड़ रुपये, 13.42 लाख मामले
- वित्तीय वर्ष 2022-23: 573 करोड़ रुपये
- वित्तीय वर्ष 2021-22: 242 करोड़ रुपये
फ्रॉड कैसे हो रहे हैं
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल इंजीनियरिंग, फिशिंग लिंक, नकली कस्टमर केयर कॉल और रिमोट एक्सेस स्कैम जैसी तकनीकें सुरक्षा उपायों को भेद रही हैं.



