Ranchi:
झारखंड की राजनीति में आज थर्ड फ्रंट की चर्चा जोरशोर से हो रही है. दरअसल कुछ तस्वीरें इस चर्चा को हवा दे रही है. दरअसल बुधवार को रांची के अनगड़ा में प्रेम शाही मुंडा की मां के श्राद्धकर्म के दौरान आदिवासी-मूलवासी नेताओं का जुटान हुआ था. किसी जमाने में दिग्गज कहे जाने वाले वह नेता, जिन्हें हाल के चुनावों में जनता जर्नादन ने नकार दिया है वे सभी यहां पहुंचे थे. आजसू चीफ सुदेश महतो, आजसू के संस्थापक सद्स्य सूर्य सिंह बेसरा, रांची के पूर्व सांसद रामटहल चौधरी, पूर्व मंत्री देवकुमार धान और प्रभाकर तिर्की समेत कई नेता मौजूद थे. इस दौरान इन नेताओं के बीच लंबी बातचीत भी हुई. सूर्य सिंह बेसरा के मुताबिक इस दौरान थर्ड फ्रंट को लेकर बातचीत हुई.
थर्ड फ्रंट की बात से पहले सुदेश महतो और सूर्य सिंह बेसरा के रिश्ते की बात कर लेते हैं. सूर्य सिंह बेसरा आजसू के संस्थापक सदस्य रहे हैं. बेसरा का हमेशा से आरोप रहा है कि सुदेश महतो का ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) से कोई लेना देना नहीं है, उन्होंने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के ब्रांड नेम आजसू को आजसू पार्टी बनाकर पहले हाईजैक किया है. सुदेश और बेसरा के रिश्ते में हमेशा खटास रही, लेकिन अनगड़ा में नजारा बदला-बदला सा था. सुदेश और बेसरा ऐसे मिले मानों दोनों के संबंध खूब अच्छे हैं. सुदेश ने सूर्य सिंह बेसरा के पांव छुए, वहीं बेसरा ने उन्हें पकड़कर अपने साथ बैठाया और खूब बातें की. खाने की मेज पर भी दोनों नेता अगल-बगल में बैठे.
यह तस्वीरें बताती है कि अनगड़ा में कुछ न कुछ खिचड़ी जरूर पकी है. बेसरा कई सालों से राजनीति में फिर से पांव जमाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही. वहीं देवकुमार धान भी लगातार चुनाव हारते आ रहे हैं. रामटहल चौधरी को भी जनता ने नकार दिया. सुदेश महतो और उनकी पार्टी को भी 2024 के विधानसभा चुनाव में जनता ने ना कह दिया. सुदेश तो जवान हैं, लेकिन बाकी के तीनों नेताओं के राजनीतिक करियर ढलान पर है. पर सत्ता और कुर्सी का चस्का लगा है तो इतनी आसानी से नहीं जाएगा. सुदेश के साथ नई सियारी पारी शुरू करने से शायद इन्हें कुछ लाभ हो सकता है. राह आसान नहीं है. फिर भी थर्ड फ्रंट की कोशिश करने में नुकसान क्या है.
थर्ड फ्रंट बनाने की योजना शुरू होते ही इसमें एक पेंच भी आ गया है. बेसरा का कहना है कि सुदेश एनडीए से बाहर निकलेंगे तभी तीसरा मोर्चा बन पाएगा. बेसरा का यह भी कहना है कि कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं से संपर्क में हैं और यह मोर्चा भाजपा-कांग्रेस-झामुमो के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदेश स्तर पर तैयार होगा. इसको लेकर कई चरणों की बैठकें भी हो चुकी है. सुदेश महतो झारखंड बनने के बाद से लगातार एनडीए गठबंधन में रहे हैं. उनके लिए बीजेपी को छोड़ना आसान नहीं होगा, लेकिन 2024 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ गठबंधन में लड़कर भी जिस तरह से उन्हें अपने साथ-साथ आजसू की तीन सीटिंग सीटें गंवानी पड़ी उससे यह भी लगता है कि सुदेश 2029 के लिए कुछ जरूर सोच रहे होंगे.




