इस साल चांदी की चमक सोने पर भारी पड़ रही है. एमसीएक्स पर मार्च डिलीवरी वाली चांदी की कीमत बुधवार सुबह 1.90 लाख रुपये प्रति किलो के पार चली गई. इससे पहले मंगलवार को भी चांदी ने 1.88 लाख रुपये प्रति किलो का नया रेकॉर्ड बनाया था. लगातार दो दिनों में रेकॉर्ड टूटने से बाजार में जबरदस्त हलचल है. सोना भी बुधवार को मामूली बढ़त के साथ खुला, लेकिन रिटर्न के मामले में चांदी ने उसे काफी पीछे छोड़ दिया है.
11 महीनों में दोगुनी हुई कीमत
जनवरी से नवंबर के बीच चांदी की कीमत में 100% से ज्यादा उछाल आया है. इन 11 महीनों में चांदी का रिटर्न इतना रहा, जितना सोने ने पूरे एक साल में भी नहीं दिया. पिछले एक साल में सोना जहां करीब 60% चढ़ा है, वहीं चांदी लगभग 90% उछली है.
जनवरी में क्या था भाव?
2 जनवरी को एमसीएक्स पर चांदी लगभग 90 हजार रुपये प्रति किलो के आसपास थी. अब यह बढ़कर करीब 1.90 लाख रुपये प्रति किलो पहुंच गई है—यानी करीब 111% की तेजी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी 28 डॉलर से छलांग लगाकर अब तक के सर्वोच्च स्तर करीब 57 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही है. यह पिछले महीने में 20% और साल भर में 100% से अधिक की बढ़त दिखाती है.
सोने से आगे निकली चांदी
2025 की शुरुआत में सोना बढ़त में था, लेकिन धीरे–धीरे उसका जोश ठंडा पड़ गया और चांदी की तेजी ने बाजार का रुख बदल दिया. साल के अंत तक चांदी न सिर्फ रिटर्न में बल्कि कीमत के स्तर पर भी कई नए रेकॉर्ड बना चुकी है.
चांदी में इतनी तेजी क्यों?
चांदी की कीमतों में उछाल की सबसे बड़ी वजह इसकी बढ़ी हुई मांग है. चीन से चांदी का निर्यात अक्टूबर में 660 टन के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया, जबकि देश का चांदी भंडार 10 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया. सप्लाई में कमी और लंदन को हुई भारी शिपमेंट से वैश्विक बाजार में कमी और नजर आई.
फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती ने भी बहुमूल्य धातुओं की कीमतों को सहारा दिया है. अनुमान है कि 2026 के अंत तक फेड तीन बार दरों में कटौती कर सकता है. यदि ऐसा होता है, तो सोना और चांदी दोनों में और तेजी देखने को मिल सकती है.



