झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में वर्ष 2025 के दौरान लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार राज्य की राजधानी रांची महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित जिला बनकर सामने आया है. रिपोर्ट बताती है कि रांची में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में करीब 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
राज्यभर में बढ़े अपराध के मामले
SCRB के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,294 मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह संख्या 4,147 थी. यानी इस साल 147 मामलों की बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में अपहरण के मामलों में 14 प्रतिशत, दुष्कर्म में 9.4 प्रतिशत और छेड़खानी की घटनाओं में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना के मामलों में भी इजाफा देखने को मिला है.
रांची की स्थिति सबसे गंभीर
राजधानी रांची में हालात सबसे ज्यादा चिंताजनक बताए गए हैं. वर्ष 2025 के पहले दस महीनों में रांची जिले में महिलाओं से जुड़े अपराधों के 679 मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 460 था. यानी एक साल में 219 मामलों की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर से दिसंबर के बीच अपराध की रफ्तार और तेज हुई है.
सुरक्षा इंतजामों पर उठे सवाल
रांची में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई व्यवस्थाएं लागू हैं. 24 घंटे महिला हेल्पलाइन, दिन में शक्ति कमांडो की तैनाती, 20 स्कूटी पर 40 महिला जवानों की गश्त और आपात स्थिति के लिए ‘शक्ति ऐप’ जैसी सुविधाएं मौजूद हैं. इसके बावजूद अपराध के बढ़ते आंकड़े सुरक्षा व्यवस्था की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
अन्य जिलों में भी हालात चिंताजनक
राज्य के अन्य जिलों में भी महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सामने आए हैं. जनवरी से अक्टूबर के बीच गिरिडीह में दुष्कर्म के 105 और सिमडेगा में 67 मामले दर्ज किए गए. वहीं अपहरण के मामलों में पलामू में 103 और देवघर में 80 घटनाएं दर्ज हुई हैं. आंकड़ों के अनुसार राज्य में हर महीने औसतन दुष्कर्म और अपहरण के करीब 146 मामले, जबकि छेड़खानी के लगभग 55 मामले सामने आ रहे हैं.
दहेज मामलों में आंशिक राहत, कुल हालात अब भी गंभीर
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना के मामलों में कुछ कमी आई है. हालांकि कुल मिलाकर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि केवल योजनाएं और ऐप पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि कानून का सख्त पालन, त्वरित कार्रवाई और सामाजिक जागरूकता के जरिए ही महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण संभव है.




