जमशेदपुर के पूर्व एसपी राकेश मिश्रा को प्रशांत किशोर ने बनाया उम्मीदवार, दरभंगा सदर सीट से लड़ेंगे चुनाव

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (3)-y1dEnBObgS.jpg

Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जन सुराज पार्टी ने एक अहम कदम उठाते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी राकेश कुमार मिश्रा को दरभंगा सदर सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. सख्त प्रशासनिक छवि और निष्पक्ष कार्यशैली के लिए प्रसिद्ध आर. के. मिश्रा अब सक्रिय राजनीति की पारी शुरू कर रहे हैं. सहरसा जिले के बनगांव गांव के मूल निवासी राकेश मिश्रा ने तीन दशक से अधिक समय तक भारतीय पुलिस सेवा में रहते हुए देश के कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. उन्होंने आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री ली और बाद में आईपीएस में चयनित हुए. वे आईटीबीपी, सीआईएसएफ और सीआरपीएफ जैसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में एडीजी जैसे वरिष्ठ पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

जमशेदपुर में एसपी के रूप में बनाई सख्त छवि

राकेश मिश्रा ने 19 फरवरी 1999 को जमशेदपुर के एसपी के रूप में कार्यभार संभाला और 26 जून 2000 तक इस पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने चर्चित बिल्डर हरि सावा हत्याकांड की गुत्थी सुलझाकर कई प्रभावशाली चेहरों को कानून के शिकंजे में लाया. यह घटना खासतौर पर चर्चा में आई थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की साकची आमबगान में चुनावी सभा होनी थी, और विपक्ष ने कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर सवाल उठाए थे.

नक्सल विरोधी रणनीतियों के विशेषज्ञ

मिश्रा को नक्सलवाद, संगठित अपराध और आंतरिक सुरक्षा मामलों में विशेषज्ञ माना जाता है. उन्होंने झारखंड और त्रिपुरा जैसे संवेदनशील राज्यों में सुरक्षा रणनीतियों को मजबूती से लागू किया और जमीनी स्तर पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया.

सम्मान और सामाजिक सेवा

राकेश मिश्रा को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक समेत कई राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं. सेवा निवृत्ति के बाद भी वे सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान देते हुए ‘आरके मिशन स्कूल’ की स्थापना और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

क्या प्रशासनिक छवि बनेगी राजनीतिक पूंजी?

अब जब राकेश मिश्रा राजनीति में उतर रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनका सख्त और ईमानदार प्रशासनिक रिकॉर्ड उन्हें मतदाताओं के बीच भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित कर पाएगा. दरभंगा सदर जैसी महत्वपूर्ण सीट पर उनकी उम्मीदवारी ने मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है.

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