निशा भगत खाली भौकाल बनाती है, बाउंसर लेकर चलने और ऊल-जलूल बोलने से नहीं चलेगा... आदिवासी समाज ने चेताया
- Posted on October 22, 2025
- झारखंड
- By Bawal News
- 144 Views
-bWyyL59KjU.jpg)
Ranchi: कुर्मियों के आदिवासी बनने की मांग के खिलाफ आदिवासी समुदाय ने जोरदार आंदोलन शुरू कर दिया है. कुर्मियों के खिलाफ आदिवासी समाज को एकजुट करने की मुहिम चल रही है, लेकिन आंदोलनकारी कई गुटों में बंटते जा रहे हैं. आदिवासी संगठनों में फूट पड़ चुकी है और ये लोग एक-दूसरे के खिलाफ भी बयानबाजी करने में लगे हैं. हर कोई नेता बनने के चक्कर में है. 18 अक्टूबर को रांची के प्रभात तारा मैदान में आदिवासी हुंकार रैली बुलाई गई थी. इस रैली में आदिवासी नेत्री निशा भगत और सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की को मंच से हटा दिया गया. इसके बाद दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि मंच पर बैठे लोग चर्च के आदमी हैं. ये लोग धर्मांतरित ईसाई हैं. बुधवार को आदिवासी समाज के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर निशा भगत और फूलचंद तिर्की के आरोपों पर जवाब दिया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि निशा भगत और फूलचंद तिर्की सिर्फ भौकाल बनाने में लगे हैं. उन्हें आदिवासियों से कोई लेना-देना नहीं है. आदिवासी हुंकार महारैली में वे लोग जिस तरह से मंच पर पहुंचे और वहां अपने पक्ष में नारेबाजी करवाई उससे अव्यवस्था पैदा हुई थी. निशा और फूलचंद पहले से माला पहनकर और बाउंसर लेकर रैली में घुस आये और मंच पर कब्जा करने की कोशिश की ऐसे में हंगामा हुआ.
लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि खाली भौकाली देने से. बाउंसर लेकर चलने, गाल बजाने और उल-जुलूल भाषण देने से नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि आदिवासी का कुर्मी समाज से कोई दुश्मनी नहीं है. हम बस उनके आदिवासी बनने की मांग के खिलाफ हैं. निशा और फूलचंद तिर्की कुर्मी समाज के खिलाफ काफी उल्टा-पुल्टा बयान दे रहे हैं. इससे आदिवासी और कुर्मी समाज के बीच तनाव पैदा हो रहा है. आखिर वे लोग क्यों किसी समाज के खिलाफ बोलेंगे. जहां तक जमीन दलाली और धर्मांतरण की बात है तो रघुवर सरकार के समय फूलचंद तिर्की पर आदिवासी जमीन पर चर्च बनाने के लिए पैसे की लेनदेन का आरोप लगा था.
Write a Response