रांची
:
झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने में अभी समय है
.
सभी राजनीतिक दल अपनी
-
अपनी रणनीति बनाकर चुनाव की तैयारी में लग गये हैं
.
चुनाव नजदीक आते ही सभी दलों की बेचैनी बढ़ी हुई है
,
लेकिन सबसे ज्यादा बेचैन बीजेपी है
.
हेमंत सरकार को हटाकर झारखंड की सत्ता में वापसी करने के लिए बीजेपी किलाबंदी में जुट गई है
.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जाल में फंसाने के लिए बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
,
गृहमंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के सभी नेताओं को अभी से ही झारखंड में लगा दिया है
.
पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव से पहले एक बार झारखंड के कोल्हान प्रमंडल का दौरा करके जा चुके हैं
.
अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हेमंत सोरेन को उनके घर
(
संथाल परगना प्रमंडल
)
में घेरने आ रहे हैं
.
वे शुक्रवार को झामुमो के गढ़ संथाल परगना के भोगनाडीह से परिवर्तन यात्रा की शुरुआत करेंगे
.
अमित शाह के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ
,
ओड़िशा के सीएम मोहन मांझी
,
छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय
,
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा
,
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह
,
नितिन गडकरी
,
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई नेता परिवर्तन रैली के बहाने हेमंत सोरेन को घेरने झारखंड आयेंगे
.
वहीं असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान तो हर दूसरे दिन झारखंड पहुंच रहे हैं
.
संथाल-कोल्हान पर है बीजेपी की नजरें
दरअसल बीजेपी की नजर हेमंत सोरेन के मजबूत किले कोल्हान और संथाल परगना पर है
.
यह दोनों प्रमंडल झामुमो का गढ़ माना जाता है
. 2019
के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने इन दोनों प्रमंडलों से बीजेपी का सफाया कर दिया था
.
बीजेपी कोल्हान और संथाल में पूरी तरह से पिछड़ गई थी
. 14
सीटों वाले कोल्हान में जहां भगवा पार्टी एक सीट के लिए तरस गई थी
,
वहीं
18
सीटों वाले संथाल में सिर्फ चार सीटें ही हासिल कर पाई थी
.
यही वजह है कि इस बार पार्टी इन दो प्रमंडल में पूरा दमखम लगा रही है
.
लैंड स्कैम मामले में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद बीजेपी को लगा था कि झामुमो का आदिवासी वोटबैंक टूट जाएगा
,
लेकिन हुआ उल्टा
.
जेल से बाहर आने के बाद हेमंत सोरेन की आदिवासी समुदाय के बीच लोकप्रियता और बढ़ गई
.
उन्हें आदिवासियों के मिल रहे सहानुभूति को देखकर बीजेपी टेंशन में है
.
इसी टेंशन के बीच बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को अपने पाले में करने के लिए राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा जोरशोर से उठा दिया है
.
प्रदेश में आने वाले बीजेपी के सभी केंद्रीय नेता इस मुद्दे को भुनाने के लिए पूरी जी
-
जान लगाए हुए हैं
.
बीजेपी नेताओं की हर रैली और सभा में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया जा रहा है
.
दिल्ली से तय हो रहे मुद्दे और नेताओं की ड्यूटी
झारखंड में अकेले हेमंत सोरेन बीजेपी को कड़ी चुनौती दे रहे हैं
.
उन्होंने अपने कार्यकाल में आदिवासी
-
मूलवासियों के लिए कई योजनाएं शुरू की
.
चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का मास्टर कार्ड खेलकर महिलाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली
. 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों और
बीजेपी के प्रदेश स्तर के नेताओं को वे पहले ही क्लीन बोल्ड कर चुके हैं
.
हेमंत सोरेन को प्रदेश बीजेपी पर भारी पड़ता देख बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मोर्चा संभाल लिया है
.
हेमंत सरकार को घेरने के मुद्दे और प्रदेश में बीजेपी की राजनीति चमकाने वाले नेताओं की ड्यूटी दिल्ली से तय की जा रही है
.
इस क्रम में बीजेपी ने राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ का पकड़ लिया
.
हिमंता विश्व सरमा ने तो इसे अपना तकियाकलाम ही बना लिया है
.
उनका कोई भी बयान या भाषण इसके बिना पूरा नहीं होता
.



