Jamshedpur: पश्चिमी सिंहभूम जिले में HIV संक्रमण की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है. थैलेसीमिया पीड़ित पांच बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की घटना ने जिले की HIV नियंत्रण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जिले में कुल 560 HIV संक्रमित मरीज पंजीकृत हैं, जिनमें 347 पुरुष, 198 महिलाएं, 15 थर्ड जेंडर और 15 बच्चे शामिल हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि अप्रैल 2025 से केवल सात महीनों के भीतर ही 74 नए मामले सामने आए हैं, जो दर्शाता है कि संक्रमण तेजी से फैल रहा है और मौजूदा रोकथाम उपाय प्रभावी साबित नहीं हो रहे.
इसी बीच, जिले का एकमात्र ART(एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी) सेंटर भी स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सेंटर के सुचारू संचालन के लिए सात कर्मचारियों की जरूरत है, जबकि इस समय सिर्फ चार ही कार्यरत हैं. मेडिकल ऑफिसर और तकनीकी स्टाफ की कमी के चलते दवा वितरण, फॉलो-अप और परामर्श जैसी आवश्यक सेवाएं बाधित हो रही हैं. सिविल सर्जन डॉ. भारती मिंज का कहना है कि दवाओं और टेस्ट किट की उपलब्धता समस्या नहीं है, लेकिन स्टाफ की कमी के कारण सेवा वितरण प्रभावित हो रहा है. उनके मुताबिक बड़ी संख्या में मरीजों को लगातार निगरानी और परामर्श की आवश्यकता होती है, जिसे मौजूदा हालात में पूरा करना मुश्किल हो रहा है.
जागरूकता की कमी भी संक्रमण के फैलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. जिले के कई क्षेत्रों में HIV को लेकर सामाजिक संकोच बना हुआ है, जिसके कारण लोग जांच कराने और उपचार शुरू करने में हिचकते हैं. परिणामस्वरूप संक्रमण का प्रसार और तेज हो जाता है. बढ़ते मामलों ने प्रशासन को जागरूकता अभियान तेज करने के लिए मजबूर कर दिया है. अब ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों में लोगों को समय पर जांच, सुरक्षित व्यवहार और नियमित उपचार के महत्व के बारे में जागरूक करने की तैयारी की जा रही है.




