ब्यूरो प्रमुख
रांची
:
मंत्रालय में रसूख हो. मंत्री जी पर प्रभाव हो तो एक ठेकेदार क्या नहीं कर सकता. वह घटिया क्वालिटी का निर्माण कार्य करा सकता है. गड़बड़ी पकड़े जाने पर अपनी गर्दन बचाकर आईएएस तक को नपवा सकता है. इसका उदाहरण है एकेजी कंपनी. यह वही कंपनी है जो कोडरमा के डोमचांच में जलमीनार बनवा रही थी और एक जून 2024 को हल्की आंधी में ढहकर इस जलमीनार ने ठेकेदार के भ्रष्टाचार की पोल खोल दी थी. घटना के बाद विभाग के तात्कालीन सचिव राजेश शर्मा दूध का दूध और पानी का पानी करने में जुटे थे. उधर विभाग ही ठेकेदार को बचाने में लगा था. डिजाइन में गड़बड़ी बताकर ठेकेदार को बचाने का हर संभव प्रयास किया गया.
IIT
बाम्बे और
IIT
मद्रास से रिपोर्ट मंगवाया गया, जिसमें बताया गया कि डिजाइन में कोई त्रुटि नहीं थी. इसके बाद भी ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, उल्टे विभाग के सचिव राजेश शर्मा का तबादला हो गया.
विभागीय सूत्र बताते हैं कि सचिव ने ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की अनुशंसा की फाइल मंत्री को भेजी थी, लेकिन ठेकेदार पर कार्रवाई करने के बजाए मंत्री ने फाइल पर
‘’
इसे जनहित के प्रस्ताव के साथ उपस्थापित करें
’’ लिखा.
फाइल में मंत्रीजी ने क्या लिखा
“
संबंधित संवेदक द्वारा एकरारित कुल कितनी
ऑन
गोइंग योजनाएं हैं और उनमें कितना एफएचटीसी किया जाना है. काली सूची में डालने के बाद उन योजनाओं के भौतिक प्रगति पर पड़ने वाले प्रभाव और कार्य पूर्ण होने की अवधि एवं उन योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय भार का आकलन एवं जनहित के प्रस्ताव के साथ संचिका उपस्थापित की जाए.
”
गुप्ता जी की कंपनी से मंत्री को इतना प्रेम क्यों
?
फाइल में लिखी यह बात आपको बताना इसलिए भी जरूरी है कि आखिर ऐसा कौन सा प्रेम मंत्री को गुप्ता जी की कंपनी से रहा कि उन्होंने गुप्ता जी के चलते तत्कालीन सचिव राजेश शर्मा से किनारा कर लिया. बवाल न्यूज़ के सूत्र बताते हैं की एकेजी
कंपनी को बचाने का हर संभव प्रयास किया गया
,
लेकिन तत्कालीन सचिव राजेश शर्मा ने हर हथकंडे को फेल कर दिया
.
IIT
की रिपोर्ट के बाद भी ठेकेदार को बचाने की कोशिश
विभागीय स्तर से
IIT
बॉम्बे और मद्रास दोनों जगह से रिपोर्ट 30 जुलाई 2024 को आ गई
.
इसमें
साफ तौर से कहा गया की डिजाइन में कोई त्रुटि नहीं है. विभाग के सूत्र बताते हैं कि इस रिपोर्ट को लगाकर एक बार फिर से फाइल मंत्री जी के यहां भेजी गई. तब मंत्री जी को यह नागवार गुजरा और इसके बाद सचिव को हटाने की पहल शुरू हो गई
.
बवाल न्यूज़ इस बात को इसलिए कह रहा है क्योंकि चंद महीने में ही सचिव का हटाया जाना सवालिया निशान तो खड़ा कर ही रहा है
.
सचिव को 11 अगस्त के अधिसूचना से हटा दिया जाता है
और वह
फाइल तब तक मंत्री के पास ही रहता है. उधर सचिव के हटते ही 13 अगस्त को आईआईटी दिल्ली ने भी अपनी रिपोर्ट दे दी
.
इस रिपोर्ट में भी डिजाइन में कोई त्रुटि नहीं बताया गया. यानी साफ था की त्रुटि ठेकेदार के काम में था.
IIT
दिल्ली की रिपोर्ट के बाद मंत्री के पास नहीं बचा ऑप्शन
इस रिपोर्ट के आने के बाद शायद मंत्री जी के पास कोई ऑप्शन नहीं रहा और इसके बाद जनहित में निर्णय लेते हुए मंत्री जी गुप्ता जी की कंपनी को काली सूची में डालने का फैसला दे दिया। इसकी अधिसूचना 23 अगस्त को निकाली गई. इस पूरे मामले पर मंत्री और चीफ इंजीनियर से बात करने की कोशिश की गई. कई बार दोनों लोगों को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
25 N/m^2
होनी चाहिए कंप्रेसिंव स्ट्रेंथ
,
पाया गया
10.49 N/m^2
बीआईटी सिंदरी की भी इसपर रिपोर्ट आ चुकी है. आज आपको बीआईटी सिंदरी की रिपोर्ट दिखाते हैं. बीआईटी सिंदरी की रिपोर्ट बताती है कि जहां कॉलम में औसत कंप्रेसिव स्ट्रेंथ
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होनी चाहिए वह टेस्ट में
10.49 N/m^2
पाई गई.
जारी...
नोट :
अगली कड़ी में आपको आईआईटी दिल्ली
,
मुंबई और मद्रास की रिपोर्ट एक-एक करके बताएंगे और यह भी बताएंगे कि आखिर कैसे ब्लैकलिस्टेड गुप्ता चंद वर्षों में बन गये बड़े ठेकेदार.



