Bihar:
बिहार की सियासत में हलचल उस वक्त तेज हो गई जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात पटना के होटल मौर्या में हुई. हालांकि इसे औपचारिक बैठक बताया जा रहा है, लेकिन सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं के बीच एनडीए गठबंधन के तहत सीट बंटवारे को लेकर करीब 20 मिनट तक बंद कमरे में गंभीर चर्चा हुई. फिलहाल बिहार में एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. घटक दलों की ओर से बढ़ती मांगों के चलते बातचीत में पेच फंसा है. हालांकि, इस बैठक के बाद संकेत मिल रहे हैं कि सीट बंटवारे पर सहमति लगभग बन गई है और सितंबर के अंत तक औपचारिक घोषणा की जा सकती है.
सीट शेयरिंग में सबसे बड़ी चुनौती: घटक दलों की मांगें
एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे में सबसे बड़ा रोड़ा चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की सीटों को लेकर है. चिराग की पार्टी पहले ही चेतावनी दे चुकी है कि अगर मनमाफिक सीटें नहीं मिलीं तो वे अकेले चुनाव लड़ेंगे. वहीं जीतन राम मांझी ने भी दो टूक कहा है कि अगर उन्हें 15 सीटें नहीं मिलीं तो उनकी पार्टी बिहार की सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी.
बीजेपी की चुनावी तैयारियां तेज, शाह की रणनीतिक बैठकें
गौरतलब है कि 13 सितंबर को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार दौरे पर आए थे, लेकिन उनकी सीएम नीतीश से कोई मुलाकात नहीं हुई थी. इसके बाद अमित शाह का यह दौरा रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है. शाह डेहरी और बेगूसराय में 20 जिलों के भाजपा नेताओं के साथ बैठक करेंगे. इन बैठकों में प्रत्याशियों के चयन, संगठनात्मक मजबूती और बूथ लेवल मैनेजमेंट जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की जाएगी.
2020 विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा कैसा था?
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू और भाजपा के बीच 243 सीटों का बंटवारा लगभग बराबर हुआ था. जेडीयू ने 115 सीटों पर खुद चुनाव लड़ा था और अपने कोटे से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) को 7 सीटें दी थीं. वहीं भाजपा ने 121 में से 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 11 सीटें वीआईपी (मुकेश सहनी) को दी थीं. उस चुनाव में चिराग पासवान की लोजपा ने एनडीए से अलग होकर 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिससे जेडीयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
अगले कुछ हफ्तों में साफ होगी तस्वीर
नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात के बाद अब निगाहें इस बात पर हैं कि एनडीए गठबंधन बिहार में सीटों का बंटवारा कैसे करता है. माना जा रहा है कि कुछ और दौर की बैठकों के बाद अंतिम निर्णय सामने आएगा, जिससे एनडीए के अंदर जारी खींचतान को विराम मिल सकेगा.




