महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस को नक्सल अभियान में एक और बड़ी सफलता मिली है. 82 लाख के 11 ईनामी माओवादियों ने बुधवार को डीजीपी रश्मि शुक्ला के समक्ष सरेंडर किये. सरेंडर करने वालों में 2 DVCM, 3 PPCM, 2 ACM और 4 सदस्य रैंक के माओवादी शामिल हैं. यह सरेंडर जिला पुलिस और राज्य एजेंसियों के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. ये सभी नक्सली कई वर्षों से जंगलों में सक्रिय थे और सुरक्षा बलों की निगरानी में थे. इनके पुनर्वास संबंधी नियमों के तहत आगे की प्रक्रिया में शामिल किया गया है.
इन नक्सलियों ने किया सरेंडर
सरेंडर करने वालों में रमेश उर्फ भीमा, भीमा उर्फ सीडू, पोइरये उर्फ लक्की, रतन उर्फ सना, कमला उर्फ राचा, ओरिये उर्फ कुमारी, रामजी उर्फ मुरा, सोनू पोइरयाम, प्रकाश उर्फ पांडू, सिता उर्फ जैनी और साईनाथ शंकर मड़े शामिल हैं. इनमें रमेश उर्फ भीमा और रामजी उर्फ मुरा गढ़चिरौली जिले के रहने वाले हैं, जबकि अन्य 9 माओवादी छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर जिलों से आते हैं.
वर्दी पहनकर पहुंचे थे 4 नक्सली
सरेंडर करने वाले चार नक्सली वर्दी पहनकर पहुंचे. सभी कैडरों ने DGP के सामने अपने हथियार सौंपे और हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का भरोसा जताया. इन 11 नक्सलियों पर कुल 82 लाख रुपये का इनाम घोषित था. अलग-अलग मामलों और इनके माओवादी संगठनों में पद के आधार पर इनाम जारी किया था. सरेंडर के बाद अब यह इनाम राशि अमान्य हो गई है, लेकिन सभी को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत लाभ मिलेगा.
लगातार दबाव से सरेंडर करने को हुए मजबूर
गढ़चिरौली पुलिस और सीआरपीएफ पिछले कई महीनों से ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों पर लगातार दबाव बनाए हुई थी. जंगलों में पुलिस और सुरक्षा बलों के ऑपरेशन ने नक्सलियों की सक्रियता को सीमित कर दिया है, जिसके कारण वे आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हुए. गढ़चिरौली जिले में वर्ष 2024 से अब तक 112 माओवादियों ने सरेंडर किया है. आंकड़े बता रहे हैं कि सुरक्षा एजेंसियों के दबाव और सरकारी पुनर्वास योजनाओं के चलते धीरे-धीरे नक्सल संगठन कमजोर हो रहे हैं. भविष्य में यह संख्या और बढ़ सकती है.



