लैंड फॉर जॉब घोटाले में आज का दिन बेहद अहम हो सकता है. सीबीआई की विशेष अदालत यह तय करेगी कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं या नहीं. अदालत के फैसले से यह साफ हो जाएगा कि मामला ट्रायल में जाएगा या आरोप यहीं खारिज हो जाएंगे.
क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम?
सीबीआई के अनुसार, वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि उन्होंने निजी लोगों से जमीन लेकर उनके परिजनों को रेलवे में ग्रुप-D की नौकरियां दिलवाईं. जांच एजेंसी ने इस मामले में विस्तृत चार्जशीट दाखिल की है, जिसके मुताबिक पश्चिम मध्य रेलवे जोन में नौकरियों के बदले जमीन के टुकड़े ट्रांसफर किए गए और बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई.
कौन-कौन हैं आरोपी?
मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी प्रसाद यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती, हेमा यादव समेत कई लोग आरोपी हैं. कुल 100 से अधिक लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी, जिनमें से 78 आरोपियों पर फाइनल चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है.
किन धाराओं में आरोप?
सीबीआई ने IPC की धारा 120B (साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 471 (फर्जीवाड़ा) और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की कई धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की है. पिछली सुनवाई में अदालत ने केवल आईआरसीटीसी होटल घोटाले से जुड़े आरोप तय किए थे, जबकि इस मामले पर निर्णय सुरक्षित रखा था.
फैसले से पहले बढ़ी सियासी हलचल
10 नवंबर को कोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित रखे जाने के बाद से ही राजनीतिक सरगर्मी तेज है. आरजेडी खेमे को उम्मीद है कि आरोप तय नहीं होंगे, जबकि विपक्ष इसे “भ्रष्टाचार का बड़ा मामला” बता रहा है. आज का फैसला यह तय करेगा कि लैंड फॉर जॉब केस ट्रायल तक जाएगा या नहीं.

