केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के स्थान पर लाया गया ‘विकसित भारत-जी राम जी’ विधेयक गुरुवार को संसद से पारित हो गया. पहले दिन में लोकसभा और फिर देर रात राज्यसभा ने इस बिल को मंजूरी दी. विधेयक के पारित होते ही संसद परिसर में सियासी माहौल गरमा गया. विपक्षी दलों, खासकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसदों ने इस कदम का तीखा विरोध किया और संसद की सीढ़ियों पर करीब 12 घंटे तक धरना दिया.
विपक्ष का धरना, टीएमसी सबसे आगे
बिल के नाम और इसके प्रावधानों को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा. टीएमसी सांसदों का आरोप है कि मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना के नाम और स्वरूप में बदलाव कर सरकार जनता को गुमराह कर रही है. विरोध के दौरान संसद परिसर में नारेबाजी और प्रदर्शन देखने को मिला, जिससे राजनीतिक तनाव और बढ़ गया.
चिराग पासवान ने उठाए सवाल
विपक्ष के विरोध पर केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने टीएमसी सांसदों पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष को आखिर किस बात से आपत्ति है-क्या उन्हें ‘राम’ नाम से ऐतराज है? चिराग ने कहा कि राम का नाम महात्मा गांधी का सबसे प्रिय था और उनके अंतिम शब्द भी ‘हे राम’ थे. ऐसे में राम के नाम पर आपत्ति समझ से परे है.
गांधी के आदर्शों का दिया हवाला
चिराग पासवान ने कहा कि अगर विपक्ष महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति कर रहा है, तो उसे उनके आदर्शों को भी समझना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सांसदों द्वारा कुर्सियों का अपमान करना, मंत्रियों पर कागज फेंकना और सदन में हंगामा करना गांधीवादी विचारधारा के खिलाफ है. गांधी के आदर्श शांति और अहिंसा पर आधारित थे, न कि अव्यवस्था पर.
नाम नहीं, काम पर ध्यान देने की अपील
मनरेगा के नाम बदले जाने के मुद्दे पर चिराग ने स्पष्ट किया कि यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि यह एक नई योजना है, जो मौजूदा योजनाओं का विस्तार और सुधार है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले ‘नरेगा’ का नाम बदलकर ‘मनरेगा’ किया गया था. समय के साथ योजनाओं में बदलाव और नए नाम आना स्वाभाविक है.
बीजेपी का दावा: भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
बीजेपी सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने विपक्ष के विरोध को राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है. उनके मुताबिक ‘विकसित भारत-जी राम जी’ विधेयक मनरेगा की कमियों को दूर करता है, जहां जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं. नया कानून डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और राज्य अधिकारियों की जवाबदेही तय करता है, जिससे भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा.
सियासी टकराव जारी
बिल के पारित होने के बाद भी सियासी घमासान थमने के आसार नहीं हैं. जहां सरकार इसे सुधार और विकास की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे जनहित से जुड़ी योजना के साथ छेड़छाड़ करार दे रहा है. आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद के बाहर भी राजनीतिक बहस का केंद्र बना रहने की संभावना है.



