मुकेश सहनी 15 सीटों पर ऐसे ही नहीं माने, तेजस्वी से लिए 2 बड़े वादे, जानिए क्या ?

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (22)-oXVKL4GQKh.jpg

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख शुक्रवार, 17 अक्टूबर है. उससे ठीक पहले महागठबंधन में देर रात सीटों के बंटवारे पर सहमति बनी. इस समझौते में मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को सिर्फ 15 सीटें दी गई हैं. जबकि सहनी शुरुआत से 40 सीटों की मांग पर अड़े हुए थे.

मुकेश सहनी खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहते हैं और दावा करते हैं कि राज्य में मल्लाह समुदाय की आबादी 12-15% के बीच है, जिस पर उनका मजबूत प्रभाव है. बावजूद इसके, उन्हें सिर्फ 15 सीटों पर समझौता करना पड़ा. इसके पीछे कई वजहें हैं – सबसे अहम यह कि उनके पास इस बार कोई भी मौजूदा विधायक नहीं है, जिससे उनकी सौदेबाजी की ताकत बेहद कमज़ोर हो गई थी.

पिछली बार VIP के साथ क्या हुआ था?

पिछले विधानसभा चुनाव में जब सीट बंटवारे को लेकर सहनी महागठबंधन से नाराज़ हुए, तो उन्होंने ऐन मौके पर पाला बदल लिया और एनडीए का हिस्सा बन गए. वहां उन्हें 11 सीटें मिलीं और VIP के चार विधायक चुने भी गए. लेकिन चुनाव जीतने के बाद सभी चार विधायक बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे VIP पूरी तरह खाली हाथ रह गई. इसी वजह से इस बार VIP की स्थिति कमजोर थी और सहनी को केवल 15 सीटों पर मानना पड़ा.

तेजस्वी यादव से लिए दो बड़े वादे

हालांकि, मुकेश सहनी ने सीटों की संख्या कम होने के बावजूद तेजस्वी यादव से दो बड़े राजनीतिक वादे हासिल कर लिए हैं. सूत्रों के मुताबिक, सहनी को एक राज्यसभा सीट और विधान परिषद की दो सीटें देने का भरोसा दिलाया गया है. इन वादों के बाद ही सहनी मान गए और अब वे शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगे.

VIP की भरपाई कैसे करेगी RJD?

VIP को कम सीटें मिलने से जो राजनीतिक स्पेस खाली हुआ है, उसे RJD अपने कोर कैंडिडेट्स और कांग्रेस के साथ मिलकर भरने की रणनीति पर काम कर रही है. हालांकि RJD और कांग्रेस को कितनी-कितनी सीटें मिली हैं, इसका आधिकारिक ऐलान अब तक नहीं हुआ है. शुक्रवार नामांकन की आखिरी तारीख होने के बावजूद तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है.

सहनी को मनाने में लगी रही पूरी टीम

गुरुवार को पूरे दिन सहनी के रुख को लेकर सस्पेंस बना रहा. उन्होंने दोपहर 12 बजे, शाम 4 बजे और फिर 6 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की घोषणा की, लेकिन हर बार प्रेस कॉन्फ्रेंस टलती रही. खबरें यह भी आईं कि खुद राहुल गांधी ने उन्हें फोन कर मनाने की कोशिश की. वहीं दिल्ली में तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच कई दौर की बातचीत हुई. अंततः देर रात सहमति बनी और सीट बंटवारे पर मुहर लगी.

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