Ranchi: एक तरफ बाबा (शिबू सोरेन) के परलोक गमन की असहनीय पीड़ा, तो दूसरी तरफ राज्य के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने की चिंता. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज अपनी जिंदगी के सबसे कठिन समय से गुजर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन का आज पांचवां दिन है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पैतृक गांव नेमरा में पुत्र धर्म का निर्वहण करते हुए पारंपरिक रीति-रिवाज से श्राद्धकर्म कर रहे हैं, लेकिन इस दौरान वे राजधर्म भी निभा रहे हैं. हेमंत सोरेन नेमरा से ही सरकारी कामकाज निपटा रहे हैं. ताकि राज्य के विकास की गति में कोई अवरोध नहीं हो.
दुःख-दर्द सीने में दबाकर निपटा रहे सरकारी कामकाज
मुख्यमंत्री शोक की इस घड़ी में भी राज्यहित से जुड़े विषयों को लेकर पूरी तरह संवेदनशील हैं. व्यक्तिगत भावनाओं और दुःख-दर्द को सीने में दबाकर वे सरकारी कामकाज को बेहतर तरीके से निभाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं. जरूरी फाइलों का निष्पादन करने के साथ सभी वरीय पदाधिकारियों के साथ नियमित संवाद बनाए हुए हैं. सरकार की गतिविधियों की निरंतर जानकारी लेने के साथ-साथ उन्हें निर्देश भी दे रहे हैं. ताकी आमजनों की समस्याओं का तत्काल निराकरण हो. उन्होंने सीनियर अफसरों से यह भी कहा है वे उन्हें हर पल अद्यतन सूचनाओं से अवगत कराते रहें.
बाबा को दिये वचनों को निभा रहा हूं: हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन ने कहा कि बाबा के निधन के बाद दुःख और मुसीबत की घड़ी में जिस तरह राज्य की जनता मेरे पूरे परिवार के साथ खड़ी रही, उसी से मुझे यह हिम्मत मिली कि मैं इन कठिन परिस्थितियों में भी इस राज्य के प्रति अपने दायित्वों को निभा सकूं. उन्होंने कहा कि बाबा हमेशा कहा करते थे- सार्वजनिक जीवन में हमेशा आम जनता के लिए खड़ा रहना. वे संघर्ष की मिसाल थे. उन्होंने कभी झुकना नहीं सीखा. इस राज्य के लिए हमेशा लड़ते रहे. उन्होंने कभी भी अपने व्यक्तिगत हितों को तरजीह नहीं दी. संसद से सड़क तक इस राज्य के लिए संघर्ष करते रहे. आज झारखंड है, तो यह दिशोम गुरु की देन है. लेकिन, अब उनका साया हमारे ऊपर से उठ चुका है . पर, वे हम सभी के लिए पथ प्रदर्शक और मार्गदर्शक रहेंगे. उन्होंने इस राज्य की खातिर मुझसे कई वचन लिए थे. मैं उनसे किए वादों को पूरा करने का हर संभव प्रयास कर रहा हूं.




