बिहार की राजनीति में इन दिनों बुलडोजर सबसे गर्म मुद्दा बन गया है. नई सरकार आने के साथ ही प्रशासन का रवैया कड़ा हुआ और अवैध निर्माणों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू हो गई. नालंदा से लेकर पटना तक सरकारी जमीन पर बने तमाम ढांचों को गिराए जाने से हड़कंप मचा हुआ है.
नालंदा और पटना में चला बुलडोजर
सरकार गठन के तुरंत बाद कई जिलों में अवैध कब्जों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया गया. हालिया कार्रवाई में नालंदा और पटना के कई इलाकों में बुलडोजर के जरिए अवैध निर्माण ढहा दिए गए, जिसके बाद स्थानीय स्तर पर खूब हलचल मच गई.
विधानसभा तक पहुंचा मामला
बुलडोजर अभियान की चर्चा सदन तक जा पहुंची. विधानसभा के सत्र में विपक्षी दलों ने इसे प्रमुख मुद्दा बनाया और सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया. विपक्ष का कहना था कि बिना उचित नोटिस और प्रक्रिया अपनाए लोगों के मकान गिराए जा रहे हैं. विरोधी सदस्यों ने इसे एकतरफा कार्रवाई बताते हुए सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की, जिसके चलते सदन में लंबा हंगामा हुआ.
सम्राट चौधरी पर राजनीतिक तंज
बहस के दौरान विपक्ष ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को निशाने पर लेते हुए उन्हें ‘बुलडोजर बाबा’ का नया नाम दे दिया—कुछ वैसा ही जैसा उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को लेकर प्रचलित हुआ था. यह संकेत है कि बुलडोजर अब सिर्फ मशीन नहीं बल्कि राजनीति का एक नया प्रतीक बन चुका है.
एक ओर सरकार इसे कानून-व्यवस्था और विकास के लिए आवश्यक बता रही है, जबकि दूसरी ओर विपक्ष इसे शक्ति प्रदर्शन और गरीबों के खिलाफ कदम के तौर पर पेश कर रहा है. साफ है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार की राजनीति को और ज्यादा गर्म करेगा.


