सोमेश का पत्ता कटा... 11वां मंत्री कौन?, दशरथ गगराई, सविता या मथुरा महतो

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मंत्री का बेटा अब डायरेक्ट मंत्री नहीं बनेगा. पहले चुनाव लड़ेगा, जीतेगा और जब राजनीति के दांव-पेंच सीख लेगा तब मंत्री बनाने का सोचा जाएगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश चंद्र सोरेन को मंत्री बनाने से मना कर दिया है. रामदास सोरेन के निधन के बाद यह कयास लगाये जा रहे थे कि उनकी पत्नी या बेटे को मंत्री बनाकर फिर चुनाव लड़ाया जाएगा, लेकिन हेमंत सोरेन ने भरी सभा में सोमेश को मंत्री बनाने से डायरेक्ट इनकार कर दिया है. पहले तो ऐसा नहीं होता था. हेमंत सरकार में दो-दो मंत्रियों के निधन के बाद उनके परिवार के लोगों को पहले मंत्री बनाया गया और फिर उन्हें चुनाव लड़वाया गया. इसका फायदा भी पार्टी को मिला. हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके बेटे हफीजुल हसन को हेमंत ने पहले मंत्री बनाया और फिर उपचुनाव लड़वाया. इसके बाद मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को हेमंत ने पहले मंत्री बनाया और फिर डुमरी से उपचुनाव लड़वाया. 

दोनों बार हेमंत सोरेन की यह रणनीति काम कर गई. हफीजुल और बेबी देवी दोनों उपचुनाव जीत गये. तीसरी बार रामदास सोरेन के निधन के बाद भी यही उम्मीद जताई जा रही थी कि उनकी पत्नी या बेटे को मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन मंत्री नहीं बनाया गया. लोगों ने सोचा हो सकता है कि उपचुनाव जीतने के सोमेश को मंत्री बना दिया जाएगा, लेकिन हेमंत ने तो साफ लहजे में कह दिया कि इस नौजवान को आज के लिए नहीं आने वाली पीढ़ी के लिए तैयार किया जाएगा. हेमंत सोरेन की यह कौन सी नई रणनीति है यह तो वही बता सकते हैं.

हेमंत सोरेन के चुनावी भाषण में यह साफ नजर आया कि वे सोमेश सोरेन की क्षमता को कम आंक रहे हैं. 39 साल के सोमेश उन्हें मैच्योर नहीं लग रहे. जब पहली बार हफीजुल हसन और बेबी देवी को मंत्री बनाया गया था और उपचुनाव लड़वाया गया था उस वक्त वे दोनों राजनीति में नये खिलाड़ी थे. एक गृहणी और दूसरे सरकारी कर्मचारी थे, जबकि सोमेश के पास बीटेक की डिग्री और पिता रामदास सोरेन के साथ राजनीतिक कामकाज में हाथ बटाने का अनुभव है. तो फिर उनमें हेमंत को मंत्री बनने की योग्यता क्यों नजर नहीं आ रही है.

खैर जो भी हो, लेकिन एक सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि जब सोमेश मंत्री नहीं बनेंगे तो हेमंत सरकार का 11वां मंत्री आखिर कौन होगा. रामदास सोरेन के निधन के बाद 11वें मंत्री का पद अगस्त महीने से खाली है. रामदास सोरेन का प्रमुख विभाग शिक्षा मुख्यमंत्री के पास है. अभी इस सरकार का करीब 4 साल का कार्यकाल बाकी है. मंत्री तो बनाना ही होगा. अब सवाल ये उठ रहा है कि 11वां मंत्री कौन होगा. चर्चा है कि इस बार मंत्री का पद किसी कुर्मी जाति के विधायक को मिल सकता है. दरअसल हेमंत कैबिनेट में जेएमएम कोटे से एक भी कुर्मी जाति का मंत्री नहीं है. हेमंत कैबिनेट में फिलहाल सीएम समेत 4 मंत्री आदिवासी हैं, जिसमें से 3 जेएमएम से हैं. जब कैबिनेट का गठन हुआ था उस वक्त रामदास सोरेन समेत 5 मंत्री आदिवासी कोटे से थे, जबकि कुर्मी जाति से एक भी विधायक को जगह नहीं मिली थी. झारखंड में कुर्मियों को संख्या ज्यादा है. इसलिए कुर्मी जाति से जेएमएम विधायक सविता महतो या मथुरा महतो को मंत्री बनाया जा सकता है. हेमंत कैबिनेट में कांग्रेस कोटे से पहले से ही दो महिला मंत्री हैं. ऐसे में सविता महतो को मंत्री बनाकर जेएमएम महिला वोटरों को यह संदेश देना चाहेगी की जेएमएम भी महिलाओं को राजनीति में उचित भागीदारी देने की पक्षधर है, लेकिन अगर कोल्हान से किसी विधायक को मंत्री बनाया जाता है तो सबसे मजबूत दावेदारी खरसावां विधायक दशरथ गगराई की होगी.

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