50 लाख रुपये गबन केस में नया मोड़: पूर्व विधायक अंबा प्रसाद को क्लीन चिट देने वाले अफसरों पर भी चलेगा मुकदमा

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (29)-tKmgCjxktd.jpg

कर्णपुरा कॉलेज, बड़कागांव में 50 लाख रुपये के गबन के मामले में अब बड़ा ट्विस्ट आया है. इस केस में पूर्व विधायक अंबा प्रसाद समेत अन्य आरोपितों को क्लीन चिट देने वाले तत्कालीन अनुसंधानकर्ता दारोगा अमित कुमार और तत्कालीन पर्यवेक्षण पदाधिकारी एसडीपीओ कुलदीप कुमार के खिलाफ भी अब मुकदमा चलेगा.

दरअसल, इन दोनों पुलिस अधिकारियों ने आरोपितों को निर्दोष करार देते हुए केस को “सत्य सूत्रहीन (एफआरटी नो क्लू)” बताकर कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की थी. लेकिन शिकायतकर्ता ने इस रिपोर्ट को चुनौती देते हुए हजारीबाग के सीजेएम कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटिशन दायर किया.

अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार और पवन कुमार यादव की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने इस शिकायत को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही अब दोनों तत्कालीन पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी और उनके विरुद्ध मुकदमा चलेगा.

मामला क्या है?

शिकायतकर्ता राम सेवक, जो बड़कागांव स्थित प्रोफेसर कॉलोनी के निवासी हैं, ने 2021 में सीजेएम कोर्ट में शिकायतवाद संख्या 835/21 दाखिल किया था. कोर्ट के आदेश के बाद बड़कागांव थाने में कांड संख्या 113/21 दर्ज हुआ.

शिकायतकर्ता कर्णपुरा कॉलेज, बड़कागांव के संस्थापक और दानदाता हैं. उन्होंने 1989 में इस कॉलेज की स्थापना एक गैर-सहायताप्राप्त डिग्री कॉलेज के रूप में की थी और जून 1988 से लेकर 30 अप्रैल 2020 तक इसके प्राचार्य रहे. बाद में, 2009 में यह कॉलेज विनोबा भावे विश्वविद्यालय से संबद्ध हो गया.

विवाद की जड़

22 फरवरी 2021 को कर्णपुरा कॉलेज के तथाकथित “शासी निकाय” की बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन विधायक अंबा प्रसाद ने की थी. शिकायतकर्ता का कहना है कि उस समय कोई वैध शासी निकाय अस्तित्व में ही नहीं था, इसलिए यह बैठक और इसमें लिए गए सभी निर्णय अवैध थे.

राम सेवक का आरोप है कि पूर्व विधायक अंबा प्रसाद ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अन्य आरोपितों के साथ मिलकर कॉलेज की निधियों में से भारी गबन किया और इसके लिए आपराधिक साजिश रची.

जांच पर सवाल

इस मामले की जांच के दौरान तत्कालीन एसडीपीओ कुलदीप कुमार ने अनुसंधानकर्ता को 28 बिंदुओं पर जांच करने का निर्देश दिया था. अनुसंधानकर्ता ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति और कॉलेज के नव-नियुक्त प्राचार्य से पत्राचार किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसके बावजूद उन्होंने बिना गवाहों के बयान और बिना गहन जांच किए साक्ष्य के अभाव का हवाला देकर कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट जमा कर दी.

किन-किन पर लगे हैं आरोप

इस मामले में निम्नलिखित लोगों पर गबन और साजिश का आरोप है:

  •  बड़कागांव की तत्कालीन विधायक अंबा प्रसाद
  •  विनोबा भावे विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डा. मुकुल नारायण देव
  •  तत्कालीन रजिस्ट्रार डा. वंशीधर प्रसाद रुखैयार
  •  रसायन विभाग के प्रोफेसर डा. इंद्रजीत कुमार
  •  कर्णपुरा कॉलेज के कीर्तिनाथ महतो
  •  कॉलेज के सचिव टुकेश्वर प्रसाद
  •  इतिहास विभाग के प्रोफेसर सुरेश महतो
  •  ज्योति जलधर
  •  विवि के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डा. कौशलेंद्र कुमार
  •  हजारीबाग के तत्कालीन जिला आपूर्ति पदाधिकारी अरविंद कुमार
  •  भोगेश्वर महतो
  •  बड़कागांव के तत्कालीन एसडीपीओ कुलदीप कुमार
  •  बड़कागांव थाने के तत्कालीन दारोगा अमित कुमार
  •  और अन्य अज्ञात व्यक्ति.

अब कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में उन पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी जिन्होंने पहले आरोपितों को क्लीन चिट दी थी.

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